BHOOT KI KAHANI THINGS TO KNOW BEFORE YOU BUY

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Bhoot ki kahani

हैलो दोस्तो अगर इस कहानी में कुछ गलतियां हो तो माफ़ करना ओर अगर अच्छी लगे तो कॉमेंट्स करना ताकि मोटीवेशन मिले। आशा करता हूं आप सबको पसंद आएगी। तो चलिए कहानी शुरू करता हूं। मेरा नाम अभय शर्मा है। जैसा ...

जैसे ही श्राप उठा, वह आत्मा राम और सोनू को उनकी बहादुरी और दया के लिए धन्यवाद दिया, और उस गुफा को छोड़कर हमेशा के लिए चली गई। कुत्ता, जो अब श्राप से मुक्त हो गया था, उसने अपनी पूंछ को कृतज्ञतापूर्वक हिलाकर राम और सोनू को धन्यवाद दिया।

रमेश ने यह बात फिर से किसी को नहीं बताई, लेकिन अब उसे प्लैटफॉर्म पर ड्यूटी करने से डर लग रहा था। अगली रात रमेश एक ही जगह खड़ा रहा। उसने स्टेशन का कोई चक्कर नहीं लगाया। कुछ देर बाद रमेश के पास एक आदमी आकर खड़ा हो गया और ट्रेन के बारे में जानकारी लेने लगा। रमेश को लगा कि कुछ गड़बड़ है।

 मेरे मन मैं अब एक ही बात चल रही थी की वो औरत कौन थी? क्या वो मेरी बाइक से गिर गई या फिर वो मेरे बाइक से उतर कर चली गई थी ?

लेकिन मेरे साथ कुछ गलत नहीं हुआ। और मेरे पापा ने वह बंगला ही बदल दिया । और हम लोग फ्लैट में रहने चले गए। हमारे बाद उस बंगले में हमारे जान पहचान वाले लोग रहने आ गए उनका छोटा बेटा हमारा बड़ा अच्छा मित्र था। एक बार वह हमसे मिलने हमारे घर आया। और हम से पूछने लगा कि एक बात मैं तुमसे पूछ रहा हूं।

आज भी पमिनाबहन के वंशज-परिवार जन उस मकान में शांति से रह रहे हैं, और इस घटना के उपचार के बाद आगे कभी उस घर में कोई असामान्य घटना नहीं हुई है।

शापित. आ हॉंटेड लव स्टोरी प्रकाश कुमार "बाग़ी"

तभी मैंने उसका हाथ पकड़ लिया । लेकिन टॉर्च के सामने हम लोगों ने उसका थोड़ा बहुत चेहरा देख लिया था। वह काला काला आदमी मटमैली सफेद रंग की धोती और मुंह पर बहुत सारे चेचक के निशान थे । सब लोग बहुत डर गए।

तब उनकी पत्नी ने उन्हें एक अघोरी बाबा को दिखाया . और अघोरी की समझ में सारी बातें आ गई। उसने कहा कि इन्होंने चार रास्ते पर पड़े समान को उठा लिया था । यह उसी का नतीजा है । लाल सिंह की पत्नी ने पूछा कैसे तब अघोरी ने बताया .

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यह कोई काल्पनिक कहानी या फिल्म की कहानी नहीं है बल्कि आँखों देखा सच है! मैं कंपनी की ओर से पिकनिक पर गया हुआ था! […]

और उसमें से एक फोटो निकली थी। जो कि उसी लड़की की थी। मैं चौक गया की उसे मेरा पता कैसे चला।

मस्त मस्त छोटी कहानियां शिक्षा देने वाली । छोटी कहानी इन हिंदी

रमेश छलावे का नाम सुनकर बुरी तरह से कांप उठा। वह जल्दी से स्टेशन से भागने लगा। प्रसाद ने उसे समझाया कि ऐसे भागने से कोई फायदा नहीं है। बस इन सबका एक ही इलाज है कि जब भी तुम्हारा ध्यान अपनी तरफ खींचने की कोशिश करें तो तुम्हें इन पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं देना है और छलावे से बातें तो बिल्कुल भी नहीं अपनी आंखें मली। उसे फिर भी वह आदमी धुंधला ही दिखाई दे रहा था।

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